शीशा-ए-दिल मेरा मलमल से टूट गया,
हाथ में जो आँचल था वो छूट गया,
इंसानों की इस दुनिया में कल
अकेलेपन से दम घुट गया.
दिल के टुकड़े हजार हुए
हर टुकड़े में थे दर्द नए,
ये अंजाम है मेरी वफ़ा का
शुक्र है हम बेवफ़ा ना थे.
वो दूर है वो बेवफ़ा नहीं
होगा उनका भी कोई सपना कहीं,
रोज टूटते है दिल सैकड़ों
मेरा भी टूटा, नई बात नहीं.
वो दूर हैं, कुछ उनके उसूल हैं
उसूल में जीना कोई ख़राब नहीं,
दर्द-ए-दिल की दवा है हाथ में
मैं जो पीता हूँ ये वो शराब नहीं.
दिल का हरेक टुकड़ा जोड़ा है
मैं ही जनता हूँ कैसे,
जख्म देकर वो पूछते हैं
अब मेरे बिन जियोगे कैसे
Parvesh Kumar
हाथ में जो आँचल था वो छूट गया,
इंसानों की इस दुनिया में कल
अकेलेपन से दम घुट गया.
दिल के टुकड़े हजार हुए
हर टुकड़े में थे दर्द नए,
ये अंजाम है मेरी वफ़ा का
शुक्र है हम बेवफ़ा ना थे.
वो दूर है वो बेवफ़ा नहीं
होगा उनका भी कोई सपना कहीं,
रोज टूटते है दिल सैकड़ों
मेरा भी टूटा, नई बात नहीं.
वो दूर हैं, कुछ उनके उसूल हैं
उसूल में जीना कोई ख़राब नहीं,
दर्द-ए-दिल की दवा है हाथ में
मैं जो पीता हूँ ये वो शराब नहीं.
दिल का हरेक टुकड़ा जोड़ा है
मैं ही जनता हूँ कैसे,
जख्म देकर वो पूछते हैं
अब मेरे बिन जियोगे कैसे
Parvesh Kumar
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