Monday, 23 November 2015

गाँव हो शहर हो कैसे जी रहे हैं लोग

गाँव हो शहर हो कैसे जी रहे हैं लोग,
हवा के नाम पर जहरीली हवा पी रहे हैं लोग
शुद्धता सिर्फ मार्कों में बंध के रह गयी,
अब पानी वाला दूध सब पी रहे हैं लोग
कल बस्ती में आया था एक जादूगर,
आज भगवान को उसी मे खोज रहे हैं लोग
मीरा, कबीरा क्या इसी धरती पे रहते थे,
फिर अब इस दुनिया के कैसे हो गए हैं लोग
अब जा रहा है ‘प्रवेश’ भी अपने घर को ,
यहाँ तो सदियों से सब सो रहे हैं लोग
Parvesh Kumar 

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